केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की मुंबई शाखा ने बुधवार को पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज (PSE) ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (BECIL) के पूर्व अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (CMD) जी. कुरुविल्ला और महाप्रबंधक (GM) डी.बी. प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी पुणे नागरिक परियोजना के लिए एक निजी फर्म को ₹50 करोड़ के लोन से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में की गई है। CBI के अनुसार, यह लोन वसूलने के बजाय एक निजी फर्म द्वारा डायवर्ट कर दिया गया, जिससे BECIL को कुल ₹58 करोड़ का नुकसान हुआ।
क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट्स के अनुसार, CBI ने पाया कि BECIL के पूर्व CMD जी. कुरुविल्ला पर आरोप है कि उन्होंने प्रतीक कनकिया की फर्म द ग्रीन बिलियन्स लिमिटेड (TGBL) को एक मुंबई स्थित प्रमोटर से कर्ज दिलाने में पक्षपात किया। आरोप है कि कुरुविल्ला ने ₹3 करोड़ की रिश्वत लेकर ₹50 करोड़ का फर्जी लोन स्वीकृत किया और इस लोन को सही तरीके से वसूलने के बजाय उसे डायवर्ट कर दिया। इससे बीईसीआईएल को भारी नुकसान हुआ, जो कि ₹58 करोड़ था।
CBI के मुताबिक, यह मामला सरकारी अधिकारियों के एक संगठित गिरोह द्वारा किया गया धोखाधड़ी का है। इस मामले में पहले ही प्रतीक कनकिया को 24 मार्च 2025 को गिरफ्तार किया जा चुका था। अब CBI ने जी. कुरुविल्ला और डी.बी. प्रसाद को भी हिरासत में लिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुंबई की विशेष अदालत ने कहा कि आरोपियों से हिरासत में पूछताछ के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं और मामले की जांच की जा रही है।
गिरफ्तारी और कोर्ट की कार्रवाई
गिरफ्तारी के बाद, जी. कुरुविल्ला और डी.बी. प्रसाद को अदालत में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने उन्हें 19 अप्रैल 2025 तक CBI की हिरासत में भेज दिया। कोर्ट ने यह कहा कि इस मामले में सरकारी अधिकारियों से जुड़े गंभीर धोखाधड़ी के आरोप हैं और जांच की प्रक्रिया के दौरान आरोपियों से पूछताछ करना आवश्यक है।
पहले से दर्ज है केस
CBI ने इस मामले में 3 सितंबर 2024 को जी. कुरुविल्ला, डी.बी. प्रसाद, प्रतीक कनकिया, द ग्रीन बिलियन्स लिमिटेड, BECIL के एक संविदा कर्मचारी, एक सलाहकार और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और रिश्वत देने से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया था। यह केस भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किया गया, जिसमें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत देने से जुड़े आरोप लगाए गए थे।
CBI की जांच और आरोपियों का बचाव
CBI ने अपने जांच में पाया कि आरोपियों ने सरकारी फंड का गलत उपयोग किया और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का उल्लंघन किया। CBI के अधिकारियों का कहना है कि यह मामला संस्थागत भ्रष्टाचार और सरकारी पैसे का गलत उपयोग का है, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी की गई। हालांकि, गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने अभी तक अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, और उनके वकील इस मामले में जल्द ही अदालत में अपनी दलील पेश करेंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि भारतीय जांच एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ गंभीर कदम उठा रही हैं। CBI की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी संस्थानों में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर कोई भी व्यक्ति या संस्था बच नहीं सकती, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो। ऐसे मामलों में CBI का मजबूत हस्तक्षेप और कार्रवाई सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई भी ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
निष्कर्ष
BECIL के पूर्व CMD और GM की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सरकारी विभागों और संस्थानों में भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी लड़ाई को और मजबूत करता है। CBI ने इस मामले में गंभीरता से कदम उठाया है, और अब यह देखना होगा कि कोर्ट में इस मामले की सुनवाई और जांच किस दिशा में जाती है। सरकारी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों को यह एक सख्त संदेश है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कोई भी कदम उठाया जाएगा।