संभल हिंसा के बाद जामा मस्जिद के सदर को भेजा जेल, जफर अली को सुबह घर से उठाया, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Sunday, March 23, 2025

मुंबई, 23 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। संभल हिंसा के 4 महीने बाद जामा मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उन पर भीड़ को भड़काकर दंगा कराने का आरोप है। हालांकि चंदौसी कोर्ट में पेशी के दौरान जफर अली ने कहा, 'मैंने कोई हिंसा नहीं भड़काई है। इससे पहले पुलिस ने जफर अली को रविवार सुबह 11 बजे घर से उठाया। करीब 4 घंटे कोतवाली में पूछताछ की। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस पर उनके साथी अधिवक्ता पुलिस की गाड़ी के पीछे भागने लगे। लोगों ने जफर अली जिंदाबाद के नारे लगाए। जफर अली का घर मस्जिद से 100 मीटर दूर है। तनाव को देखते हुए इलाके में 200 से ज्यादा जवान तैनात किए गए हैं। 5 थानों की फोर्स भी जामा मस्जिद इलाके में तैनात है। SP केके बिश्नोई, CO अनुज चौधरी फ्लैग मार्च कर रहे हैं। संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हिंसा हुई थी। इसके एक दिन बाद (25 नवंबर को) पुलिस ने जफर को उठाया था और कोतवाली में उनसे पूछताछ की थी।

गिरफ्तारी के बाद जफर अली को करीब रैपिड रिएक्शन फोर्स (RRF) के 50 जवानों और पुलिस वालों की सुरक्षा में पुलिस जीप में बैठाया गया। गिरफ्तारी के समय जफर अली अपनी अधिवक्ता की पोशाक में थे। उन्होंने काले कोट को अपने हाथ में ले रखा था।पुलिस जीप में बैठते हुए जफर अली ने हाथ हिलाकर लोगों से समर्थन मांगा। इसके बाद वह जीप में बैठ गए। जिस समय जफर अली को चंदौसी की ADJ कोर्ट द्वितीय ले जाया जा रहा था, सड़क के दोनों साइड RRF के जवान मुस्तैद रहे। उनके अलावा ASP (उत्तरी) श्रीश्चंद्र, सीओ संभल अनुज चौधरी, SIT प्रभारी सीओ असमोली कुलदीप सिंह, थाना क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर अमरीश कुमार, थाना कैलादेवी इंस्पेक्टर सत्यप्रकाश सिंह, थाना हयातनगर एसओ चमन सिंह भी मौके पर मौजूद रहे।

संभल एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने बताया, 24 नंवबर 2024 को विवादित स्थल का सर्वे हो रहा था। उस दौरान लोगों के द्वारा पत्थरबाजी और फायरिंग की गई। जिसको लेकर मामला दर्ज किया गया था। उसमें आज जामा मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है। कल, शनिवार देर रात को भी हिरासत में लेकर जफर अली से पूछताछ की गई थी। बाद में छोड़ दिया था। इसके बाद सुबह दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पूछताछ खत्म होने के बाद उनको गिरफ्तार कर संपत्ति निवारण अधिनियम के मामले में जेल भेज दिया है। जफर अली के खिलाफ 191(2),191(3), 190, 221, 125,132, 324(5), 196, 230,231 BNS, 3/4 सार्वजनिक संपत्ति निवारण अधिनियम की धाराएं लगाई गई है।

जफर अली जामा मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हैं। मुस्लिम समाज में इन्हें सदर कहा जाता है। जफर अली की गिरफ्तारी के बाद उनके बड़े भाई ताहिर अली कोतवाली पहुंचे। उन्होंने बताया- सुबह करीब 11.30 बजे इंस्पेक्टर साहब और जांच अधिकारी घर पहुंचे। पूछने पर बताया था कि सीओ कुलदीप सिंह बात करना चाहते हैं। जांच आयोग के सामने बयान देना था, इसलिए जानबूझकर उनको पुलिस जेल भेज रही है, लेकिन कोई बात नहीं। भाई ने कहा कि जफर अली ने हिंसा के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो बयान दिया था, वह उससे पीछे नहीं हटेंगे। वो बयान देंगे कि पुलिस ने गोली चलाई थी। पुलिस की गोली से ही ये लोग मारे गए थे। वो कह रहे हैं, मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं, लेकिन सच्चाई से पीछे नहीं हटूंगा। हम लोग कोर्ट में केस लड़ेंगे। संभल का प्रशासन लोगों को भड़का रहा है। तनाव खत्म नहीं करना चाहता। हम तनाव खत्म करना चाहते हैं। जितने भी उच्च अधिकारी हैं, सब संभल में तनाव पैदा कर रहे हैं।

जफर अली को हिरासत में लिए जाने की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में उनके साथी अधिवक्ता संभल कोतवाली पहुंच गए और विरोध जताने लगे। अधिवक्ताओं ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए तत्काल जफर अली को रिहा करने की मांग की। मौके पर बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने अधिवक्ताओं से बातचीत कर स्थिति को संभाला। जफर अली पेशे से एडवोकेट हैं। उनके दो भाई- ताहिर अली और कमर अली भी अधिवक्ता हैं। पिता मोहम्मद हामिद अली यूपी पुलिस में एस इंस्पेक्टर रहे। जफर अली ने दो शादी की है। पहली पत्नी से एक बेटी है। पत्नी की 20 साल पहले मौत हो गई थी। दूसरी पत्नी से एक बेटा हैदर अली और एक बेटी है। हैदर चंदौसी कोर्ट में प्रैक्टिस करता है।

ASP श्रीश्चंद्र ने बताया, सुरक्षा की दृष्टि से इलाके में चौकसी बढ़ा दी गई है। चारों ओर पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस लगातार गश्त कर रही है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि कानून व्यवस्था को किसी भी हालत में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।

दरअसल, जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि ये पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। इसे लेकर 19 नवंबर, 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दिया। कोर्ट ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम 4 बजे सर्वे के लिए टीम मस्जिद पहुंच गई। 2 घंटे सर्वे किया। हालांकि, उस दिन सर्वे पूरा नहीं हुआ। इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे की टीम जामा मस्जिद पहुंची। मस्जिद के अंदर सर्वे हो रहा था। इसी दौरान बड़ी संख्या में लोग जुट गए। भीड़ ने पुलिस टीम पर पत्थर फेंके। इसके बाद हिंसा भड़क गई। इसमें गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। संभल हिंसा में अब तक 3 महिलाओं सहित 79 उपद्रवियों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। अभी तक किसी की जमानत नहीं हुई है। जस्टिस नारायण राय ने अब तक 130 जमानत याचिकाओं को खारिज किया है। 2 जनवरी को संभल में शाही जामा मस्जिद की 45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट चंदौसी कोर्ट में दाखिल कर दी गई थी। 4.5 घंटे की वीडियोग्राफी और 1200 से अधिक फोटो भी अदालत को दिए गए। इसमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद में मंदिर होने के सबूत मिले हैं। मस्जिद में 50 से ज्यादा फूल, निशान और कलाकृतियां मिली हैं। अंदर 2 वट वृक्ष हैं। हिंदू धर्म में वट वृक्ष की पूजा की जाती है। एक कुआं है, उसका आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर और आधा हिस्सा बाहर है। बाहर वाले हिस्से को ढंक दिया गया है। पुराने ढांचे को बदला गया है। जिन जगहों पर पुराने ढांचे हैं, वहां नए निर्माण के सबूत मिले हैं। मंदिर वाले स्ट्रक्चर जैसे- दरवाजे, झरोखों और अलंकृत दीवारों पर प्लास्टर लगाकर पेंट कर दिया गया है। मस्जिद के भीतर जहां बड़ा गुंबद है, उस पर झूमर को तार से बांधकर एक चेन से लटकाया गया है। ऐसी चेन का इस्तेमाल मंदिरों में घंटों को लटकाने में किया जाता है।


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