मुंबई, 01 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान के भरतपुर के बयाना और सीकर में खांसी की सीरप पीने से कई बच्चे बीमार पड़ गए हैं। इस घटना में एक बच्चे की मौत होने का भी दावा किया गया है। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड कॉम्बिनेशन वाली सभी खांसी की सीरप के वितरण पर रोक लगा दी है। फिलहाल मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत यह दवाइयां जयपुर की KAYSONS फार्मा कंपनी और इंदौर की Samkem फार्मा कंपनी से सप्लाई की जा रही थीं। राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (RMSCL) ने सतर्कता बरतते हुए इंदौर की Samkem फार्मा की दवाइयों का वितरण भी जांच पूरी होने तक रोक दिया है। हालांकि RMSCL ने इस कंपनी के किसी भी बैच के सैंपल फिलहाल लैब नहीं भेजे हैं। दूसरी ओर KAYSONS फार्मा के साल 2025 के सभी बैचों के सैंपल जांच के लिए लैब भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने तक कंपनी की किसी भी दवाई को सरकारी अस्पतालों में वितरण करने की अनुमति नहीं होगी।
RMSCL के कार्यकारी निदेशक जयसिंह का कहना है कि जिन दवाइयों को लेकर विवाद सामने आया है, उनकी पहले से जांच करवाई गई थी और उस समय रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक इस दवाई को 4 साल या उससे छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए। सीकर में जिस बच्चे की मौत दवाई पीने के बाद होने का दावा किया गया है, उस पर RMSCL ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस बैच की सीरप बच्चे को दी गई बताई जा रही है, वह बैच चिराना सीएचसी में सप्लाई हुआ ही नहीं था। फिलहाल मामले की जांच जारी है और रिपोर्ट आने तक दोनों कंपनियों की दवाओं की सप्लाई रोकी गई है।