मुंबई, 01 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान हाईकोर्ट ने सड़क हादसे में महिला की मौत के मामले में मुआवजा राशि 3.15 लाख रुपए बढ़ाने का फैसला सुनाया है। जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की एकलपीठ ने कहा कि गृहिणी के निस्वार्थ कार्यों को आर्थिक मूल्य देना जरूरी है और उनकी काल्पनिक आय को कम नहीं आंका जा सकता। यह मामला साल 2011 का है, जब सड़क हादसे में कमला कंवर नामक महिला की मौत हो गई थी। गुमानसिंहपुरा गांव के पास खेत पर जाते समय बोलेरो ने उन्हें टक्कर मारी थी। हादसे के बाद उनके पति ने दावा याचिका दायर की, लेकिन केस लंबित रहने के दौरान उनका निधन हो गया। इसके बाद मृतका के ससुर आनंद सिंह को आश्रित मानकर मामले में पक्षकार बनाया गया। जोधपुर की मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने साल 2017 में अपने फैसले में 4.33 लाख रुपए का मुआवजा तय किया था। इसमें महिला की आय 3,000 रुपए मासिक आंकी गई थी। ट्रिब्यूनल के इस निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई।
हाईकोर्ट ने कहा कि 40 साल से कम उम्र की मृतका के मामले में 40% भविष्य की संभावनाएं जोड़ी जानी चाहिए थीं। कोर्ट ने मृतका की मासिक आय 2011 में कुशल श्रमिक की न्यूनतम मजदूरी के आधार पर 4,650 रुपए आंकी और उसमें 40% भविष्य की संभावनाएं जोड़ दीं। इसके आधार पर कोर्ट ने कुल मुआवजा राशि 7.48 लाख रुपए तय की, जो ट्रिब्यूनल द्वारा दी गई राशि से 3.15 लाख रुपए अधिक है। कोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा घर में किया गया योगदान अमूल्य है और इसे केवल आर्थिक रूप में नहीं आंका जा सकता। गृहिणी के कार्यों की विविधता और महत्व को देखते हुए उनके योगदान को मान्यता मिलनी ही चाहिए। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि बढ़ी हुई राशि पर ट्रिब्यूनल द्वारा निर्धारित ब्याज दर से दावा याचिका दाखिल करने की तारीख से ब्याज जोड़ा जाएगा और यदि कोई राशि पहले दी जा चुकी है तो उसका समायोजन किया जाएगा।