मुंबई, 18 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बुधवार को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच फोन पर करीब 35 मिनट तक बातचीत हुई, जिसमें पीएम ने ऑपरेशन सिंदूर की पूरी जानकारी साझा की। इस बातचीत के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार की विदेश नीति और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने इसे भारत की कूटनीति पर तिहरा झटका बताते हुए कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर राष्ट्रपति ट्रंप के साथ लंच करेंगे, जबकि मुनीर पाकिस्तान सरकार के मुखिया नहीं हैं और उनके भड़काऊ बयानों ने ही पहलगाम आतंकी हमले की पृष्ठभूमि तैयार की थी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने पाकिस्तान को आतंक के खिलाफ बेहतरीन सहयोगी बताया, जबकि यही पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन को पनाह देने वाला देश है। उन्होंने कहा कि ऐसा देश अपराधी हो सकता है, सहयोगी नहीं। इसे सहयोगी कहना भारत के लिए बड़ा झटका है।
रमेश ने तीसरा झटका राष्ट्रपति ट्रंप के उस दावे को बताया जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने और भारत-पाक सीजफायर के लिए 14 बार हस्तक्षेप किया और इसमें व्यापार को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया। रमेश का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 10 मई के बाद से इस विषय पर कुछ नहीं कहा और यह भी एक प्रकार का झटका है। उन्होंने पीएम मोदी से मांग की कि वे तीन देशों की यात्रा से लौटते ही सर्वदलीय बैठक बुलाएं और ट्रंप के साथ हुई बातचीत का ब्यौरा साझा करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 37 दिनों तक इस विषय पर कोई बयान नहीं दिया और अब अचानक बताया जा रहा है कि उन्होंने ट्रंप से 35 मिनट तक बातचीत की है। रमेश ने सवाल उठाया कि पीएम मोदी संसद या सर्वदलीय बैठक में वही बातें क्यों नहीं कह सकते जो उन्होंने ट्रंप से कहीं। उन्होंने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को कारगिल समीक्षा समिति की तरह पहलगाम समीक्षा समिति भी बनानी चाहिए ताकि आतंकी हमले और उससे जुड़ी कार्रवाई की समीक्षा हो सके। इस मुद्दे पर भाजपा की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता पर निशाना साधते हुए कहा कि जयराम रमेश लंबे समय से झूठे बयानों के लिए जाने जाते हैं और अब एक बार फिर से उन्होंने वही किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि खुद कांग्रेस के लोग भी रमेश की फर्जीबाजी को स्वीकारते हैं।