मुंबई, 22 मार्च, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। यूरोप के शक्तिशाली देश महाद्वीप की रक्षा के लिए नाटो में अमेरिका को रिप्लेस करने की प्लानिंग कर रहे हैं। फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और नॉर्डिक देश (डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे) नाटो के मैनेजमेंट ट्रांसफर के लिए ट्रम्प को एक प्रस्ताव भी दे सकते हैं। इस ट्रांसफर में 5 से 10 साल तक का वक्त लग सकता है। यूरोपीय देश जून में होने वाले नाटो के वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले इस योजना को अमेरिका के सामने पेश करना चाहते हैं। ब्लूमबर्ग के मुताबिक नाटो यूरोप और कनाडा से अपने हथियार भंडार को 30% तक बढ़ाने के लिए कहेगा, ताकि अगर अमेरिका एकतरफा नाटो छोड़ दे तो यूरोप को दिक्कत का सामना न करना पड़े। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों ने पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि अपने रक्षा खर्च और मिलिट्री इन्वेस्टमेंट में बढ़ोतरी करेंगे।
ब्लूमबर्ग ने मुताबिक यूरोप जिन पांच मुख्य क्षेत्रों में खुद को मजबूत करना चाहता है उनमें एयर डिफेंस सिस्टम, डीप-फायर कैपेबिलिटी, लॉजिस्टिक्स, कम्युनिकेशन और कम्युनिकेशन सिस्टम और ग्राउंड मिलिट्री एक्सरसाइज शामिल हैं। फिलहाल अमेरिका नाटो के सालाना 3.5 अरब डॉलर के खर्च में 15.8% का हिस्सा देता है। पूरे यूरोप में अमेरिका के 80,000 से 100,000 सैनिक तैनात हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक यूरोपीय क्षमताओं को अमेरिका के लेबल तक लेकर जाने में लगभग 5 से 10 साल का एक्स्ट्रा खर्च लगेगा। हालांकि कुछ अधिकारी को लगता है कि ट्रम्प सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं और उनका नाटो गठबंधन में बड़ा बदलाव करने का कोई इरादा नहीं है।
अमेरिका और USSR (वर्तमान रूस) के बीच कोल्ड वॉर (1947-91) के बाद से यूरोप अपनी सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर अमेरिका पर निर्भर रहा है। डिफेंस एक्सपर्ट मनोज जोशी के मुताबिक यूरोप के कई देश अपने डिफेंस पर GDP का 2% से भी कम खर्च कर रहे हैं। उनकी सेनाएं इतनी कमजोर हो गई हैं कि उन्हें उबरने में समय लगेगा। दूसरी तरफ ट्रम्प नाटो गठबंधन को समय और धन की बर्बादी समझते हैं। अगर अमेरिका नाटो छोड़ देता है तो यूरोपीय देशों को अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए डिफेंस पर कम से कम 3% खर्च करना होगा। उन्हें गोला-बारूद, ट्रांसपोर्ट, ईंधन भरने वाले विमान, कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, उपग्रह और ड्रोन की कमी को पाटना होगा, जो फिलहाल अमेरिका की तरफ से मुहैया कराए जाते हैं। यूके और फ्रांस जैसे नाटो सदस्य-देशों के पास 500 एटमी हथियार हैं, जबकि अकेले रूस के पास 6000 हैं। अगर अमेरिका नाटो से बाहर चला गया तो गठबंधन को अपनी न्यूक्लियर-पॉलिसी को नए सिरे से आकार देना होगा।
ट्रम्प की तरफ से हाल के दिनों उठाए गए कदमों की वजह से यूरोप अमेरिका पर सुरक्षा निर्भरता कम करना चाहता है। ट्रम्प कई बार अमेरिका को नाटो से अलग करने की बात कह चुके हैं। व्हाइट हाउस में ट्रम्प और जेलेंस्की के बीच बहस के बाद 3 मार्च को लंदन में यूरोपीय देशों की समिट में यूरोपीय कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर ने यूरोप को तत्काल हथियारबंद करने की जरूरत बताई थी। उन्होंने कहा था कि हमें डिफेंस निवेश बढ़ाना होगा। यह यूरोपीय यूनियन की सुरक्षा के लिए जरूरी है। हमें फिलहाल सबसे खराब हालात के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि रूस समेत अन्य खतरों के मद्देनजर यूरोप को अपनी रक्षा क्षमताएं बढ़ानी होगी। उन्होंने इस योजना को रेडीनेस-2030 नाम दिया।