मुंबई, 03 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने अभिनेता, निर्देशक और नेता कमल हासन को कन्नड़ भाषा पर उनकी टिप्पणी को लेकर फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा कि उन्होंने किस आधार पर यह बयान दिया, क्या वह इतिहासकार हैं या भाषाविद्। कोर्ट ने कहा कि चाहे वह कमल हासन हों या कोई और, किसी को भी दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 10 जून को तय की गई है। कमल हासन ने अपने बचाव में कहा कि 24 मई को चेन्नई में उनकी फिल्म 'ठग लाइफ' के प्रमोशनल इवेंट में उन्होंने जो कहा, उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने यह बात डॉ. राजकुमार और उनके परिवार, खासकर शिव राजकुमार के प्रति प्रेम के भाव से कही थी और उनका इरादा किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का नहीं था। इस बयान के बाद कर्नाटक में आलोचना का दौर शुरू हो गया और कई कन्नड़ संगठनों ने हासन से माफी की मांग की। कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स ने फिल्म 'ठग लाइफ' की रिलीज पर बैन लगाते हुए कहा कि जब तक हासन माफी नहीं मांगते, तब तक फिल्म कर्नाटक में रिलीज नहीं होगी।
कमल हासन की प्रोडक्शन कंपनी राजकमल फिल्म्स इंटरनेशनल ने फिल्म की रिलीज के लिए सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कहा कि देश में भाषा, जल और जमीन नागरिकों की सांस्कृतिक पहचान हैं और इस तरह के बयान से अशांति फैलती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक साधारण माफी इस पूरे मामले को सुलझा सकती थी, लेकिन कमल हासन सुरक्षा की मांग लेकर अदालत पहुंच गए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि कोई भी भाषा किसी दूसरी भाषा से जन्म नहीं लेती और किसी भी नागरिक को भाषा के प्रति ऐसी अपमानजनक टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने यह भी याद दिलाया कि 75 साल पहले इसी तरह के बयान पर एक शख्स ने माफी मांगकर विवाद को समाप्त किया था, फिर कमल हासन ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
कमल हासन इस मुद्दे पर दो बार माफी से इनकार कर चुके हैं। 30 मई को चेन्नई में उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और अगर वह गलत साबित होते हैं तो माफी मांगेंगे, लेकिन अगर उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है तो माफी नहीं मांगेंगे। 28 मई को केरल में उन्होंने कहा कि उनका बयान प्रेम से भरा हुआ था और कई इतिहासकारों ने उन्हें भाषा का इतिहास पढ़ाया है, इसलिए उन्होंने जो कहा वह समझ के आधार पर था। 24 मई को फिल्म प्रमोशन इवेंट में कमल हासन ने कन्नड़ एक्टर शिव राजकुमार की ओर इशारा करते हुए कहा था कि वह उनके परिवार जैसे हैं, और उनकी भाषा तमिल से उत्पन्न हुई है, इसलिए वे भी हमारे ही हिस्से हैं। इस टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। केरल में उन्होंने आगे यह भी कहा कि राजनेता भाषा पर टिप्पणी करने के लिए उपयुक्त नहीं हैं, इसमें वह खुद को भी शामिल करते हैं। उन्होंने कहा कि भाषा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और भाषाविदों के जिम्मे छोड़ देनी चाहिए।
जिसके बाद, भाजपा ने भी इस बयान की आलोचना की है। पार्टी के कर्नाटक अध्यक्ष विजयेंद्र येदियुरप्पा ने कहा कि यह कमल हासन का अहंकार है कि उन्होंने तमिल भाषा का महिमामंडन करते हुए शिव राजकुमार को बीच में लाकर कन्नड़ भाषा का अपमान किया है। कांग्रेस ने भी बयान की निंदा की है। तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच पहले से ही ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर विवाद चल रहा है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत तीन भाषाएं पढ़ाने की सिफारिश की गई है लेकिन कोई भाषा अनिवार्य नहीं है। तमिलनाडु सरकार हिंदी का विरोध करती रही है। कमल हासन पहले भी कह चुके हैं कि तमिल भाषा उनकी सांस्कृतिक पहचान है और लोगों ने इसके लिए जान तक दी है। वह चाहते हैं कि इस मुद्दे के साथ कोई खिलवाड़ न किया जाए। पार्टी के स्थापना दिवस पर भी उन्होंने तमिल भाषा की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा था कि राज्य के बच्चे खुद तय कर सकते हैं कि उन्हें कौन सी भाषा पढ़नी है।