मुंबई, 01 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। वक्फ संशोधन बिल बुधवार को प्रश्नकाल के बाद लोकसभा में पेश होगा। स्पीकर ओम बिरला ने इस पर 8 घंटे चर्चा का समय निर्धारित किया है। NDA को बहस में बोलने के लिए 4 घंटे 40 मिनट का समय मिला है। बाकी के वक्त विपक्ष के नेता बोलेंगे। बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) ने जब इस बात की जानकारी दी। विपक्ष ने कहा कि चर्चा 12 घंटे होनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि बिल पर चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद बिल लोकसभा में पास किया जाएगा। हालांकि, विपक्ष ने BAC की बैठक से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर अपने एजेंडे को थोपने और विपक्षी सदस्यों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाया। लोकसभा में बहस के लिए भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, टीडीपी समेत पार्टियों ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया।
दोनों पार्टियों ने वक्फ संशोधन बिल पर 3 सुझाव दिए थे। सरकार ने सभी को मान लिया है। जिसमे पहला, कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं करना चाहिए। दूसरा, पुरानी मस्जिद, दरगाह या दूसरे मुस्लिम धार्मिक स्थान से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। तीसरा, जमीन राज्यों का विषय है। जमीन पर राज्यों की भी स्पष्ट राय ली जाए। वहीं, भाजपा ने व्हिप जारी कर अपने सांसदों को सदन में पूरे समय मौजूद रहने को कहा है। वहीं, कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को बजट सत्र के बाकी बचे तीनों दिन सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि हम बिल पर चर्चा चाहते हैं। सभी राजनीतिक दलों को इस पर बोलने का अधिकार है। देश भी जानना चाहता है कि किस पार्टी का क्या स्टैंड है। अगर विपक्ष चर्चा में शामिल नहीं होना चाहता तो हम उन्हें रोक नहीं सकते
सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता बताते हैं कि मोदी सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। सरकार इस कानून में बदलाव करना चाहती है, जिसकी ये मुख्य वजह है, पहली, वक्फ बोर्ड में अब दो सदस्य गैर-मुस्लिम होंगे। इतना ही नहीं, बोर्ड के CEO भी गैर मुस्लिम हो सकते हैं। दूसरी, कानून बदलकर वक्फ में महिलाओं का पार्टिसिपेशन बढ़ाया जाएगा। सेक्शन-9 और 14 में बदलाव करके केन्द्रीय वक्फ परिषद में दो महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा नए बिल में बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग से वक्फ बोर्ड बनाए जाने की बात भी कही गई है। बोहरा समुदाय के मुस्लिम आमतौर पर व्यवसाय से जुड़े होते हैं, जबकि आगाखानी इस्माइली मुसलमान होते हैं, जो न तो रोजा रखते हैं और न ही हज जाते हैं। तीसरी, भारत सरकार कानून बदलकर वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कंट्रोल बढ़ाएगी। वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में गैर-मुस्लिम एक्सपर्ट्स को शामिल करने और सरकारी अधिकारियों से वक्फ के ऑडिट कराने से वक्फ के पैसे और संपत्ति का हिसाब-किताब ट्रांसपेरेंट होगा। केंद्र सरकार अब CAG के जरिए वक्फ की संपत्ति का ऑडिट करा सकेगी। चौथी, कानूनी बदलाव के लिए सरकार ने जस्टिस सच्चर आयोग और के रहमान खान की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त कमेटी की सिफारिशों का हवाला दिया है। इसके मुताबिक राज्य और केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों में दखल नहीं दे सकती हैं, लेकिन कानून में बदलाव के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी, ताकि संपत्ति के मालिकाना हक की जांच हो सके। नए बिल के पास होने पर इन संपत्तियों और उसके राजस्व की जांच जिला मजिस्ट्रेट कर सकेंगे। सरकार का मानना है कि वक्फ जमीनों को जिला मुख्यालयों के राजस्व विभाग में रजिस्टर्ड कराने और कम्प्यूटर में रिकॉर्ड बनाने से ट्रांसपेरेंसी आएगी। और पांचवी, मोदी सरकार के नए बिल के मुताबिक वक्फ ट्रिब्यूनल में अब 2 सदस्य होंगे। ट्रिब्यूनल के फैसले को 90 दिनों के अंदर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।