भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने बीते रविवार (3 नवंबर 2025) नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका को हराकर अपना पहला आईसीसी विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया है। पूरे देश ने अपनी महिला योद्धाओं को यह अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल करते हुए देखा। इस ऐतिहासिक फाइनल मुकाबले में भारत ने विरोधियों के सामने 299 रनों का विशाल लक्ष्य रखा, जिसके जवाब में दक्षिण अफ्रीका की टीम केवल 246 रनों पर ही सिमट गई। इस शानदार जीत का श्रेय न केवल मैदान पर प्रदर्शन करने वाली हरमनप्रीत कौर की सेना को जाता है, बल्कि टीम के मुख्य कोच अमोल मजूमदार की प्रेरणादायक भूमिका की भी जमकर तारीफ हो रही है, जिन्हें अब क्रिकेट जगत में 'कबीर खान' का नया टाइटल दिया जा रहा है।
चैंपियन टीम के 'कबीर खान' बने मजूमदार
कोच अमोल मजूमदार ने फाइनल मैच से पहले टीम के हडल (Team Huddle) में खिलाड़ियों के अंदर ऐसा जोश भर दिया, जिसकी तुलना शाहरुख खान की फिल्म 'चक दे इंडिया' के कोच कबीर खान की मशहूर '70 मिनट' वाली स्पीच से की जा रही है। फाइनल मुकाबले से कुछ घंटे पहले, कोच मजूमदार ने अपनी खिलाड़ियों से कहा: "सात घंटे के लिए हम सारी शोरगुल से दूर रहेंगे, अपना खुद का बबल बनाएंगे और खुद अपनी कहानी लिखेंगे।"
मजूमदार ने खिलाड़ियों को बाहरी दबाव, मीडिया की अटकलों और पूरे देश की उम्मीदों के शोर से पूरी तरह दूर रहने की सलाह दी। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे केवल खेल पर ध्यान केंद्रित करें और मैदान पर उतरकर अपने प्रदर्शन से इतिहास रचें। अपने कोच की यह भावनात्मक और प्रेरणादायक स्पीच सुनकर भारतीय महिला क्रिकेट टीम में एक अलग ही ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार हो गया, जिसका परिणाम मैदान पर देखने को मिला।
शफाली और दीप्ति की शानदार पारियां
भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए बोर्ड पर 298 रन का प्रभावशाली स्कोर खड़ा किया। इस विशाल स्कोर की नींव युवा और विस्फोटक सलामी बल्लेबाज शफाली वर्मा ने रखी, जिन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 87 रनों की शानदार पारी खेली।
शफाली के बाद, अनुभवी ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा ने भी 58 रनों की महत्वपूर्ण और उपयोगी पारी खेलकर टीम को एक मजबूत स्थिति में पहुंचाया। इन दोनों खिलाड़ियों की पारियों ने भारत को वह आत्मविश्वास दिया जिसकी जरूरत बड़े फाइनल में होती है। जवाब में, दक्षिण अफ्रीका की कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट ने अकेले दम पर संघर्ष करते हुए 101 रनों की शानदार शतकीय पारी खेली, लेकिन उन्हें दूसरे छोर से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल सका और उनकी टीम 45.3 ओवर में 246 रन बनाकर ऑलआउट हो गई।
भावुक हो उठे कोच मजूमदार
जैसे ही भारतीय महिला टीम ने अंतिम विकेट लिया और विश्व चैंपियन बनी, टीम के साथ-साथ कोच अमोल मजूमदार भी भावुक हो उठे। अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा: “मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा, यह एक अविश्वसनीय उपलब्धि है। इन खिलाड़ियों ने हर भारतीय को गर्व महसूस करवाया है। उन्होंने बेहद मेहनत की और यह जीत उसी का फल है। हमने पिछली हारों को हार नहीं माना, बल्कि उन मुकाबलों को देखा जिन्हें हम बस पूरा नहीं कर पाए। पूरी टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल दिखाया और आखिरकार हम विश्व चैंपियन बने। यह भारतीय क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक पल है।”
भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में यह जीत एक नया अध्याय है। कप्तान हरमनप्रीत कौर के नेतृत्व में और 'कबीर खान' बने अमोल मजूमदार की कोचिंग में, इस टीम ने न केवल एक ट्रॉफी जीती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी स्थापित की है।