ढाका: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर से राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा का दौर शुरू हो गया है। आज (सोमवार) पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) का बहुप्रतीक्षित फैसला आने वाला है, जिसे लेकर पूरे देश में तनाव चरम पर है। इस बीच, शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने यूनुस सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप राजधानी ढाका समेत कई शहरों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। बढ़ती हिंसा को देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए हिंसा करने वालों पर गोली चलाने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे स्थिति और भी विस्फोटक हो गई है। पूरे बांग्लादेश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।
देर रात हिंसा और आगजनी
रिपोर्ट्स के अनुसार, आवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने देर रात राजधानी ढाका में हिंसक प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों ने कई बसों और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। राजधानी में तनाव बढ़ने के बाद अब प्रमुख और संवेदनशील इलाकों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीमा रक्षकों (Border Guards) को तैनात किया गया है। आवामी लीग ने आज देशव्यापी 'पूर्ण बंद' (Complete Shutdown) का आह्वान किया है, ताकि शेख हसीना के खिलाफ आने वाले फैसले का विरोध किया जा सके और यूनुस सरकार पर दबाव बनाया जा सके। हालांकि, वर्तमान यूनुस सरकार ने आवामी लीग पर पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है, जिससे ये प्रदर्शन अवैध माने जा रहे हैं।
शेख हसीना पर ICT का फैसला
यह पूरा तनाव बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद शुरू हुआ है। पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) में चल रहे मामले पर आज फैसला आने वाला है। यह फैसला बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। यदि फैसला शेख हसीना के खिलाफ जाता है, तो इससे आवामी लीग के समर्थकों का आक्रोश और भड़क सकता है। शेख हसीना लंबे समय से बांग्लादेश की राजनीति की धुरी रही हैं और उनके खिलाफ किसी भी प्रतिकूल निर्णय का सीधा असर उनके समर्थकों और देश की स्थिरता पर पड़ना तय है। उनकी पार्टी का मानना है कि ये मामले राजनीतिक प्रतिशोध के तहत दर्ज किए गए हैं।
अंतरिम सरकार का कड़ा रुख
यूनुस सरकार ने हिंसा और अशांति को बर्दाश्त न करने का स्पष्ट संदेश दिया है। हिंसा करने वालों पर 'गोली चलाने के आदेश' जारी करना दर्शाता है कि सरकार किसी भी कीमत पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैयार है। यह एक अत्यंत कठोर कदम है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं, लेकिन अंतरिम सरकार इसे देश में अराजकता फैलने से रोकने के लिए आवश्यक बता रही है। ढाका और अन्य बड़े शहरों में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है। सभी की निगाहें आज ICT के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि बांग्लादेश की राजनीतिक उथल-पुथल किस दिशा में आगे बढ़ती है।