इन दिनों सोशल मीडिया पर किसी भी बात को तोड़-मरोड़कर पेश करना बेहद आसान हो गया है। अक्सर देखने को मिलता है कि बिना किसी पुष्टि के एक वीडियो या फोटो झूठे दावों के साथ वायरल हो जाता है और लोग उसे सच मान लेते हैं। यही वजह है कि फेक न्यूज न सिर्फ लोगों को गुमराह करती है, बल्कि सामाजिक रूप से खतरनाक स्थिति भी पैदा कर सकती है। ऐसे ही एक वायरल वीडियो का आज फैक्ट चेक में सच्चाई सामने आई है, जिसमें एक सरकारी स्कूल के टीचर को बंदूक की नोक पर पकड़वाकर शादी कराने का दावा किया गया है।
क्या हो रहा है वायरल?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर X (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग एक शख्स को जबरन एक सरकारी स्कूल से बाहर ले जा रहे हैं और उनके हाथों में बंदूकें भी नजर आ रही हैं। वीडियो के साथ कैप्शन में दावा किया गया है,
"बेगूसराय के एक सरकारी स्कूल टीचर को बंदूक की नोक पर पकड़वा कर शादी करवाने के लिए ले जाया जा रहा, बिहार में बहार बा।"
वीडियो के दृश्य देखकर ऐसा लगता है मानो यह किसी 'पकड़ौआ विवाह' की असली घटना है, जो कि बिहार में कभी-कभी खबरों में देखी गई है।
फैक्ट चेक: वायरल वीडियो की सच्चाई क्या है?
फैक्ट चेक टीम ने इस वीडियो की सत्यता की जांच करने के लिए सबसे पहले वीडियो के कीफ्रेम्स का रिवर्स इमेज सर्च किया। जांच के दौरान यह वीडियो हमें एक इंस्टाग्राम अकाउंट ‘Rajanrddfilms’ पर मिला। इस वीडियो को 12 मार्च 2025 को अपलोड किया गया था और यह स्पष्ट रूप से एक फिल्म शूटिंग का हिस्सा है।
वीडियो के विवरण में बताया गया है कि यह दृश्य फिल्म ‘पकड़ौआ विवाह’ की शूटिंग के दौरान फिल्माया गया था। वीडियो में कैमरा क्रू, माइक और कुछ लोगों को शूटिंग के सामान के साथ भी देखा जा सकता है, जिससे स्पष्ट होता है कि यह कोई असली घटना नहीं बल्कि नाट्य रूपांतरण है।
शूटिंग की जगह और विवाद
वीडियो में जिस स्कूल को दिखाया गया है, वह बिहार के बेगूसराय जिले के दुलारपुर का एक सरकारी स्कूल है। India TV की टीम ने जब इस पर और खोज की, तो News18 बिहार की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें पुष्टि की गई कि यह वीडियो एक फिल्म की शूटिंग का हिस्सा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस फिल्म की शूटिंग बिना स्कूल प्रशासन की अनुमति के रविवार को की गई थी, जब स्कूल बंद था। स्कूल के प्रधानाचार्य ने भी इस बात की पुष्टि की कि शूटिंग के लिए कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी और उन्होंने इस मामले में शिकायत भी दर्ज करवाई है। इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर जांच जारी है।
सोशल मीडिया पर फर्जी दावों का खतरा
यह घटना एक उदाहरण है कि कैसे किसी वीडियो को गलत सन्दर्भ में पेश करके जनता को गुमराह किया जा सकता है। अगर इस वीडियो की सच्चाई की जांच न की जाती, तो यह झूठा दावा एक क्षेत्र विशेष या समुदाय के प्रति भ्रम और रोष पैदा कर सकता था।