मोदी स्पेस एक्सप्लोरेशन पर ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में हुए शामिल, कहा 2040 तक भारतीय एस्ट्रोनॉट चांद पर जाएगा, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Wednesday, May 7, 2025

मुंबई, 07 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पेस एक्सप्लोरेशन पर ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। PM ने कहा कि चंद्रयान 1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज में मदद की। चंद्रयान 2 मिशन कामयाब रहा। चंद्रयान 2 ने हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें भेजी थीं। चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के साउथ पोल के बारे में हमारी समझ और बढ़ाई है। हमने रिकॉर्ड टाइम में क्रायोजनिक इंजन बनाया है। हमने एक ही लॉन्चिंग में 100 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे। हम 34 देशों के 400 से ज्यादा सैटेलाइट्स भेज चुके हैं। भारतीय एस्ट्रोनॉट 2040 तक चंद्रमा पर पहुंचेगा। आने वाले हफ्तों में एक भारतीय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में जाने वाला है। भारत के लिए यह गर्व की बात है। चंद्रमा के अलावा मंगल और शुक्र भी हमारे रडार पर हैं। अंतरिक्ष सिर्फ एक गंतव्य नहीं है। यह जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति की घोषणा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्रा इसी भावना को दर्शाती है। 1963 में एक छोटे रॉकेट को लॉन्च करने से लेकर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने तक, हमारी यात्रा उल्लेखनीय रही है। अंतरिक्ष में भारत की जर्नी सराहनीय है। हमारे रॉकेट पेलोड से कहीं ज्यादा ले जाते हैं। भारत के पूर्व छात्र महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मील के पत्थर हैं।

PM ने आगे कहा, हमारा पहला मानव अंतरिक्ष यान मिशन, गगनयान, हमारे देश की बढ़ती आकांक्षाओं को उजागर करता है। आने वाले हफ्तों में, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए इसरो-नासा के संयुक्त मिशन के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष की यात्रा करेगा। 2035 तक, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन अनुसंधान और वैश्विक सहयोग में नए आयाम खोलेगा। 2040 तक, भारत का पदचिह्न चंद्रमा पर होगा। मंगल और शुक्र भी हमारे रडार पर हैं। इंसान को स्पेस में ले जाने वाला भारत का यान गगनयान हमारी आकांक्षाओं को बयां करता है। आने वाले हफ्तों में हमारे एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में जाएंगे। यह ISRO और NASA का संयुक्त मिशन होगा। 2035 में भारतीय स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में अन्वेषण के नए आयाम खोलेगा। 2040 में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के कदम चांद पर पड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा की, हमने स्पेस में दो सैटेलाइट्स की डॉकिंग की, यह अपने आप में बेहद खास है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा का मकसद किसी अन्य देश के साथ रेस लगाना नहीं है, इसमें सबको साथ लेकर ऊंचाई तक जाना है। हमने दक्षिण एशियाई देशों के लिए सैटेलाइट्स लॉन्च किए। जी-20 सैटेलाइट मिशन की घोषणा हमारी अध्यक्षता में ही हुई थी। हम ग्लोबल साउथ की अवधारणा लेकर चल रहे हैं।


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