मुंबई, 07 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने बारां के अंता बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा की विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही उन्हें दो सप्ताह में ट्रायल कोर्ट के सामने सरेंडर करने आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस संजय करोल की बेंच में आज सुनवाई हुई। विधायक के वकील नमित सक्सेना ने कहा कि रिवॉल्वर की कोई बरामदगी नहीं हुई है। ऐसे में क्रिमिनल फोर्स का कोई मामला नहीं बनता है। जिस वीडियो कैसेट को तोड़ने और जलाने की बात कही गई है, उसे भी पुलिस ने बरामद नहीं किया है। ऐसे में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला भी यहां नहीं बन सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।
दरअसल, झालावाड़ के मनोहर थाने से दो किमी दूर दांगीपुरा-राजगढ़ मोड़ पर 3 फरवरी 2005 को गांव के लोगों ने खाताखेड़ी के उपसरपंच के चुनाव के संबंध में फिर से मतदान करवाने के लिए रास्ता रोक रखा था। सूचना पर तत्कालीन एसडीएम रामनिवास मेहता, प्रोबेशनर आईएएस डॉक्टर प्रीतम बी यशवंत और तहसीलदार रामकुमार के साथ मौके पर पहुंचे। वे लोगों को समझा रहे थे। करीब आधे घंटे बाद कंवरलाल मीणा अपने कुछ साथियों के साथ मौके पर आया। उसने एसडीएम मेहता की कनपटी पर पिस्टल तानकर कहा कि दो मिनट में वोटों की गिनती फिर से कराने की घोषणा नहीं की तो जान से मार दूंगा। मेहता ने उससे कहा, इस तरह से जान जा सकती है, लेकिन दुबारा वोटों की गिनती की घोषणा नहीं हो सकती है। गांव के लोगों ने कंवरलाल को समझाया। इसके बाद उसने विभाग के फोटोग्राफर के कैमरे से कैसेट निकालकर तोड़ दिया और फिर जला दिया। कंवरलाल ने डॉक्टर प्रीतम का डिजिटल कैमरा भी छीन लिया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने कंवरलाल मीणा को 2 अप्रैल 2018 को दोषमुक्त किया था। अपील कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटते हुए उसे दोषी करार दिया था। इसके खिलाफ कंवरलाल मीणा ने हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, घटना के समय याचिकाकर्ता ने स्वयं को एक राजनीतिक व्यक्ति होना बताया। उस स्थिति में उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह कानून व्यवस्था को चुनौती देने की बजाय उसे बनाए रखने में सहयोग करेंगे। लेकिन, उन्होंने रिपोल की मांग करते हुए एसडीएम की कनपटी पर पिस्टल तान दी। उन्हें जान से मारने की धमकी दी। वीडियोग्राफर की कैसेट निकालकर उसे तोड़ दिया। इस घटना से पहले याचिकाकर्ता के खिलाफ 15 आपराधिक केस दर्ज हो चुके थे। अधिकांश में उसका दोष मुक्त होना बताया गया है। फिर भी उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि को यहां पर नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं है।