मुंबई, 20 जून, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। NEET और NET-UGC एग्जाम विवाद पर राहुल गांधी ने कहा कि कुछ कारणों से नरेंद्र मोदी भारत में पेपर लीक नहीं रोक पा रहे या रोकना नहीं चाह रहे हैं। राहुल ने ये भी कहा, पेपर लीक के पीछे कारण यह है कि एजुकेशन सिस्टम को भाजपा के पेरेंट ऑर्गनाइजेशन ने कैप्चर कर लिया है। जब तक इसे पलटा नहीं जाएगा, तब तक पेपर लीक जारी रहेगा। मोदी जी ने यह होने दिया है, जो कि एंटी-नेशनल एक्टिविटी है। पहले पीएम का 56 इंच का सीना था, अब 32-35 हो गया है। राहुल ने कहा, पेपर लीक माफिया का दावा है कि पेपर लीक हुआ है, जबकि सरकार ने NTA को क्लीन चिट दे दी है। सरकार इस मुद्दे पर चुप है क्योंकि पीएम बैसाखियों के सहारे हैं। अभी पीएम के लिए बड़ा मुद्दा स्पीकर का है। पेपर लीक पर वे बात ही नहीं करना चाहते। उनकी चिंता ये है कि सरकार बच जाए। मोदी साइकोलॉजिकल तौर पर टूट चुके हैं और ऐसे में सरकार चलाने में उन्हें काफी परेशानी आने वाली है। दरअसल, उनके सरकार चलाने का तरीका है, लोगों में डर पैदा करना, लेकिन अब लोग उनसे नहीं डरते हैं। अगर यहां वाजपेयी जी या मनमोहन जी होते तो शायद वे संभाल लेते, क्योंकि उनमें विनम्रता, सम्मान और समझ थी, लेकिन नरेंद्र मोदी इन बातों में यकीन नहीं करते। पीएम मोदी का आइडिया है जनता को डर में रखना, ताकि लोग उनके खिलाफ न बोल पाएं, लेकिन इस चुनाव में ये डर खत्म हुआ है। वाराणसी में बीते दिनों उनके काफिले पर चप्पल फेंकी गई। इन चुनावों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ लोगों में डर खत्म हुआ है।
राहुल से किये गए सवाल-जवाब -
सवाल: क्या आपको लगता है कि यह एजुकेशन इमरजेंसी है। सरकार के स्टैंड से क्या आप संतुष्ट हैं।
जवाब: स्टूडेंट्स पर बहुत दबाव है। जो हर तरफ से आ रहा है। सबसे बड़ी बात है बेरोजगारी। मोदी जी इसे हल नहीं कर पा रहे। दूसरी चीज है, पहले इन्होंने जॉब कट किए। अब एग्जाम में आप पढ़ाई करते हैं, तो ये कहते हैं कि एक्जाम कैंसिल हो गया। आप अग्निवीर लाए, पब्लिक सेक्टर एवेन्यू कट किया, तो आप देश को कहां ले जाना चाहते हैं। यह केवल एजुकेशन क्राइसिस नहीं है। बल्कि चारों ओर क्राइसिस हैं। चुनाव के पहले यह क्लियर था कि मीडिया पर दबाव था। ये इकोनॉमिक, एजुकेशनल, इंस्टीट्यूशनल क्राइसिस है, लेकिन कैपेबिलिटी ऑफ रिस्पॉन्स नहीं है। बिहार में इन्क्वायरी होना चाहिए, दोषी पर एक्शन हो।
सवाल: सोमवार से संसद सत्र शुरू हो रहा है, क्या आप निजी तौर पर इस विषय को उठाएंगे? क्या मांग करेंगे कि प्रधानमंत्री सदन में आकर जवाब दें, क्योंकि ये छात्रों के भविष्य से जुड़ा सवाल है।
जवाब: हां उठाएंगे
सवाल: जो एजुकेशन सिस्टम इस वक्त है और जिस तरीके से पेपर लीक हुए। कल परीक्षा भी रद्द हुई, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि बदलाव क्या होने चाहिए। जिससे पेपर लीक रुके। क्या आपके पास फॉर्मूला है?
जवाब: हमारे मेनिफेस्टो में हमने लिखा था। देखिए दो-तीन चीजें हैं। सबसे पहले जो शिक्षा का सिस्टम है उसे एक संगठन ने कैप्चर कर रखा है। ये हर पोस्ट पर अपने ही लोगों को डालते हैं। वाइस चांसलर्स की लिस्ट निकाल लीजिए पता लग जाएगा, तो इसको रिवर्स करना होगा। दूसरी बात कांग्रेस के मेनिफेस्टो में हमने साफ कहा था कि पेपर लीक होने के बाद सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इसके पहले जो सिस्टम्स हैं, यूनिवर्सिटी के जो रूल्स हैं, इनको स्टडी करके रिडिजाइन करना पड़ेगा। ये दोनों काम हमने अपने मेनिफेस्टो में साफ लिखे हैं और दबाव डालकर ये काम सरकार से करवाना है।
सवाल: नीट की काउंसलिंग नहीं रोकी जा रही है, आप क्या सोचते हैं?
जवाब: हम दबाव डालेंगे। इस तरह की एक्टिविटी नहीं होनी चाहिए। स्टूडेंट्स इन परीक्षाओं के लिए बहुत मेहनत करते हैं। आप उनकी आंखों में धूल नहीं झोंक सकते।
सवाल: NEET परीक्षा रद्द होनी चाहिए?
जवाब: कहा जा रहा था कि मोदी जी ने रूस-यूक्रेन युद्ध रोक दिया, लेकिन कुछ कारणों से नरेंद्र मोदी पेपर लीक रोक नहीं पाए हैं या रोकना नहीं चाहते।
सवाल: क्या सख्त कानून की जरूरत है।
जवाब: सख्त कानून होना चाहिए, लेकिन अगर आप मेरिट के आधार पर नौकरी नहीं देंगे। इनकैपेबल को VC बनाएंगे। इनकैपेबल लोगों को एग्जाम लेने वाली जगह डालेंगे। ये सबसे बड़ा कारण है। मीडियोकर (औसत दर्जे के) के लोगों को इन इंस्टीट्यूशंस में बैठा दिया गया है। मप्र पहले इसका एपिसेंटर होता था। वहां 40-50 लोगों की हत्या हुई। अब यह देशभर में फैल रहा है। जब तक इम्पार्शियल लोगों के हाथ में ये इंस्टीट्यूशंस नहीं जाएंगे तब तक ऐसा होता रहेगा।
सवाल: NTA को HRD मिनिस्टर ने क्लीन चिट पहले ही दे दी है।
जवाब: उनकी क्रेडिबिलिटी इन बातों में है ही नहीं। वो क्लीनचिट दें, इसका कोई मतलब नहीं है। सब लोग जानते हैं मप्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश इसके एपिसेंटर हैं। मेरी यात्राओं में सबसे ज्यादा बात पेपर लीक की आई।
सवाल: NTA को खत्म करना चाहिए।
जवाब: जिस तरीके से एग्जाम होता है, वैसे ही लेने दें और मेरिट को प्रमोट करें तो कई तरह से एग्जाम कराया जा सकता है, लेकिन मीडियोकर लोगों को ऊपर बैठाओगे तो यह नहीं होगा। किसी भी सिस्टम को बदला जा सकता है।