असीम मुनीर का फील्ड मार्शल बनना ‘डिस्टर्बिंग साइन’, पूर्व अमेरिकी NSA ने जताई चिंता

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Posted On:Thursday, May 22, 2025

पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट ने हाल ही में अपने सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल का पद दिया है, जो इस देश की सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण और दुर्लभ पद है। इस फैसले ने न केवल पाकिस्तान के अंदर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारी चर्चा और प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। खासतौर पर, इस फैसले पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने चिंता जताई है। उन्होंने इस कदम को एक “परेशान करने वाला संकेत” बताते हुए कहा कि इससे चीन को फायदा मिल सकता है और पाकिस्तान के विकास पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

जॉन बोल्टन की प्रतिक्रिया: एक परेशान करने वाला संकेत

जॉन बोल्टन ने इस प्रमोशन पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि “मुझे लगता है कि यह संभावित रूप से एक परेशान करने वाला संकेत है।” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आंतरिक असंतोष और तनाव को दबाया जा रहा है, और इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में हैं, जो देश की राजनीतिक स्थिति की जटिलता को दर्शाता है। बोल्टन ने स्पष्ट किया कि “यह पाकिस्तान के हित में नहीं है,” और अमेरिकी सरकार को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर पाकिस्तान पर दबाव बनाए ताकि देश में स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिले।

बोल्टन का मानना है कि पाकिस्तान में लगातार बने रहने वाला दुश्मनी का माहौल न केवल राजनीतिक अस्थिरता को जन्म देता है, बल्कि इसके कारण देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी बाधा आती है। उनका कहना है कि यह स्थिति लंबे समय से चली आ रही है और इससे पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने इस फैसले को पाकिस्तान में जारी आंतरिक तनाव की गवाही बताया, जिससे देश के भविष्य पर सवाल उठते हैं।

चीन के लिए लाभ का अवसर

पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने यह भी बताया कि इस फैसले से चीन को भी फायदा मिल सकता है। उन्होंने कहा, “यह चीन के लिए इन घटनाक्रमों का फायदा उठाने का एक और मौका है। इससे चीन पाकिस्तान के अंदर और भी ज्यादा प्रभाव बना सकता है।” यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे सैन्य और आर्थिक संबंध हैं, और चीन अपने Belt and Road Initiative (BRI) के तहत पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है।

चीन की पाकिस्तान के साथ निकटता क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाती है, खासकर भारत और चीन के बीच तनाव के मद्देनजर। इसलिए, जब पाकिस्तान अपने सैन्य नेतृत्व को इस तरह के उच्च पद पर प्रमोट करता है, तो इससे चीन को अपनी रणनीतिक पकड़ मजबूत करने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, यह कदम केवल पाकिस्तान के आंतरिक मामलों का विषय नहीं रह जाता, बल्कि अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक समीकरणों में भी बदलाव ला सकता है।

पाकिस्तान की सैन्य और रणनीतिक स्थिति

पाकिस्तान ने जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल के पद पर प्रमोट करने के फैसले को अपनी सैन्य ताकत और उपलब्धियों का प्रतीक बताया है। हाल के वर्षों में पाकिस्तान और भारत के बीच चल रहे तनाव के बीच यह फैसला पाकिस्तान के लिए एक प्रकार की राजनीतिक और सैन्य रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, इस निर्णय को कई विशेषज्ञ पाकिस्तान की हाल की सैन्य और रणनीतिक विफलताओं को छिपाने की कोशिश के रूप में भी देख रहे हैं।

भारत-पाकिस्तान के बीच सीमाई टकराव, कश्मीर विवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर तनाव के बीच यह पदोन्नति पाकिस्तान सरकार द्वारा एक ऐतिहासिक जीत के रूप में पेश की जा रही है। जनरल असीम मुनीर की नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा करते हुए, पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट ने उन्हें देश के सबसे बड़े सैन्य पदों में से एक पर बिठाया है, ताकि जनता और वैश्विक समुदाय के सामने अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत दिखाया जा सके।

पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति में प्रभाव

जनरल असीम मुनीर का यह प्रमोशन पाकिस्तान की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों पर भी असर डाल सकता है। देश में आंतरिक अस्थिरता और विभाजन के बीच यह कदम सैन्य सत्ता के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। विशेष रूप से, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की जेल में कैदगी और राजनीतिक दबाव के बीच यह पदोन्नति एक तरह से सेना और सरकार के बीच गहरे गठजोड़ का संकेत देती है।

इससे यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना राजनीतिक मामलों में अधिक सक्रिय होती जा रही है, जिससे लोकतांत्रिक संस्थानों की भूमिका कमजोर पड़ सकती है। यह देश की राजनीतिक स्थिरता के लिए चिंताजनक हो सकता है और इससे आम जनता के अधिकारों पर भी असर पड़ सकता है।

निष्कर्ष

पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट द्वारा जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल पद पर प्रमोट करना एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला है, जो देश की आंतरिक राजनीति, सैन्य रणनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित करता है। जॉन बोल्टन जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों की प्रतिक्रिया इस फैसले के नकारात्मक प्रभावों को उजागर करती है, खासकर पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर।

यह कदम पाकिस्तान के लिए नए अवसरों और चुनौतियों दोनों को जन्म देता है। जबकि यह सेना और सरकार को एकजुट दिखाने का माध्यम हो सकता है, वहीं इससे देश के लोकतांत्रिक विकास और आंतरिक शांति को खतरा भी हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चाहिए कि वह इस बदलाव पर ध्यान दे और पाकिस्तान में स्थिरता व विकास के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद करे।


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