पाकिस्तान ने एक बार फिर धार्मिक त्योहार बकरीद के मौके को भारत विरोधी एजेंडे को हवा देने के लिए इस्तेमाल किया है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने एलओसी (LoC) पर तैनात अपने सैनिकों से मुलाकात के दौरान भारत और कश्मीर को लेकर विवादित और भड़काऊ बयान दिए।
जनरल मुनीर ने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा कि “आपने हाल ही में दुश्मन सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है। कश्मीरी जनता का न्यायसंगत और साहसी संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता।” उन्होंने कहा कि “जम्मू-कश्मीर का मसला वहां की जनता और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप ही हल किया जाना चाहिए।”
एलओसी का दौरा और 'फर्जी शौर्य गाथा'
बकरीद के मौके पर जनरल मुनीर ने नियंत्रण रेखा पर अग्रिम चौकियों का दौरा किया और वहां तैनात सैनिकों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान सेना के बलिदान और समर्पण की प्रशंसा करते हुए कहा, “देश की सेवा ही हमारे सैनिकों के लिए सर्वोपरि है। ईद जैसे खास अवसरों पर अपनों से दूर रहकर देश की सुरक्षा करना असली कुर्बानी है।”
हालांकि, जानकारों का कहना है कि यह दौरा और बयानबाजी पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह हर बार धार्मिक अवसरों पर भारत और कश्मीर को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश करता है।
पाक सेना की 'झूठी शान' का प्रचार
पाक मीडिया ने भी सेना प्रमुख के दौरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुनीर ने अपने संबोधन में कहा कि “पाक सेना ने हाल ही में भारतीय सेना को करारा जवाब दिया है।” हालांकि, इस बयान को लेकर कोई स्वतंत्र पुष्टि सामने नहीं आई है।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने भारत के खिलाफ इस तरह के बयान दिए हों। हर बार सेना की विफलताओं को छुपाने के लिए पाकिस्तान इस तरह के ‘दुश्मन को सबक सिखाने’ वाले झूठे दावे करता रहा है।
कश्मीर एजेंडा: पाकिस्तान की पुरानी चाल
पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की कोशिश करता आया है, लेकिन उसे कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। हर बार जब पाकिस्तान पर आंतरिक दबाव बढ़ता है – जैसे आर्थिक संकट, राजनैतिक अस्थिरता या सैन्य असफलताएं – तो वह कश्मीर का राग अलापना शुरू कर देता है।
जनरल मुनीर का ताजा बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान देश के भीतर जनता का ध्यान भटकाने और सेना के मनोबल को बनावटी तौर पर ऊंचा दिखाने के लिए दिया गया है।
भारत का करारा जवाब
बता दें कि बीते अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने करारा जवाब दिया था। 6 और 7 मई की दरम्यानी रात भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर बड़ी सैन्य कार्रवाई की थी। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया था।
इसके बाद चार दिनों तक चले सैन्य अभियानों में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के 12 से ज्यादा आतंकी लॉन्चपैड और कम्युनिकेशन हब तबाह कर दिए थे। यह कार्रवाई पाकिस्तानी सेना के लिए बड़ा झटका थी, जिसे वह अब 'प्रोपेगेंडा' के जरिए ढकने की कोशिश कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पाकिस्तान
संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर कोई खास समर्थन नहीं मिला है। उल्टा, पाकिस्तान को आतंकवाद को समर्थन देने के आरोपों में कई बार वैश्विक आलोचना झेलनी पड़ी है।
भारत का रुख हमेशा यह रहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस मुद्दे पर कोई तीसरा पक्ष हस्तक्षेप नहीं कर सकता। भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में चेताया है कि सीमा पार से आतंकवाद की किसी भी कोशिश का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
निष्कर्ष: त्योहार पर भी राजनीति से बाज नहीं आया पाकिस्तान
बकरीद जैसे महत्वपूर्ण और पवित्र अवसर पर जहां लोग भाईचारे, त्याग और शांति का संदेश फैलाते हैं, वहीं पाकिस्तान ने इसे भी राजनीतिक और सैन्य प्रोपेगेंडा के लिए इस्तेमाल किया। जनरल आसिम मुनीर का भड़काऊ बयान और कश्मीर पर दोहराया गया राग यही दर्शाता है कि पाकिस्तान आज भी अतीत की संकीर्ण और विफल नीतियों को ढो रहा है।
भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान को अब यह समझना होगा कि भड़काऊ बयानबाजी से कोई समाधान नहीं निकलेगा। उसे अपने घर के हालात सुधारने पर ध्यान देना चाहिए न कि पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश करनी चाहिए।