हाल ही में आतंकवाद के खिलाफ भारत की आक्रामक नीति ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति की ओर खींचा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक की, जिसके बाद पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी दे दी। इसी तरह अब इजरायल और ईरान के बीच जारी तनाव ने भी वैश्विक परमाणु सुरक्षा की चिंता बढ़ा दी है।
इसी बीच, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की ताज़ा रिपोर्ट ने दुनिया भर में परमाणु हथियारों और सैन्य शक्ति को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किन देशों के पास कितने परमाणु हथियार हैं, किस देश ने कितने हथियार खरीदे और किसने सबसे ज्यादा बेचे।
परमाणु हथियारों की वैश्विक स्थिति
SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक दुनियाभर में 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 5 देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थायी सदस्य हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और अमेरिका के पास दुनिया के 90% से ज्यादा परमाणु हथियार हैं।
देश |
परमाणु हथियारों की संख्या |
रूस |
5880 |
अमेरिका |
5244 |
चीन |
600 |
भारत |
180 |
पाकिस्तान |
170 |
उत्तर कोरिया |
50 |
फ्रांस |
290 |
यूनाइटेड किंगडम |
225 |
इजरायल |
90 (अनौपचारिक अनुमान) |
भारत और पाकिस्तान की परमाणु शक्ति की तुलना करें तो भारत के पास 10 ज्यादा परमाणु हथियार हैं। भारत लगातार अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ा रहा है और हाल ही में ‘कैनिस्टराइज्ड’ मिसाइलें विकसित की हैं, जिन्हें ‘मेटेड वॉरहेड’ के साथ तैनात किया जा सकता है।
एशिया में परमाणु तनाव
एशियाई क्षेत्र में परमाणु हथियारों की स्थिति तेजी से जटिल होती जा रही है। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और चीन की आक्रामक सैन्य नीति इस क्षेत्र को अस्थिर बना रही है। चीन के पास भारत से तीन गुना ज्यादा परमाणु हथियार हैं, और वह लगातार नई मिसाइलें तैनात कर रहा है।
इधर, ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष का मुख्य कारण भी ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा है। इजरायल का दावा है कि अगर ईरान ने परमाणु बम बना लिया, तो यह न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरनाक साबित होगा। इसी वजह से इजरायल लगातार ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए सैन्य कार्रवाई कर रहा है।
हथियारों का व्यापार: कौन खरीदता है, कौन बेचता है?
SIPRI रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2020 से 2024 के बीच दुनियाभर में 162 देशों ने बड़े हथियार खरीदे। इनमें यूक्रेन, भारत, कतर, सऊदी अरब और पाकिस्तान प्रमुख रहे, जिनकी हथियार खरीद में कुल मिलाकर 35% हिस्सेदारी रही।
वहीं हथियारों के सबसे बड़े विक्रेताओं की सूची इस प्रकार है:
देश |
वैश्विक निर्यात में हिस्सेदारी |
अमेरिका |
43% |
फ्रांस |
11% |
रूस |
10% |
चीन |
5% |
जर्मनी |
4% |
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों का हथियार निर्यात और अधिक बढ़ गया है। भारत जहां अमेरिका, फ्रांस और रूस से हथियार खरीद रहा है, वहीं पाकिस्तान का झुकाव चीन और तुर्की की ओर अधिक दिख रहा है।
निष्कर्ष: सुरक्षा बनाम अस्थिरता
SIPRI की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि दुनिया तेजी से हथियारबंद हो रही है। जहां भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश परमाणु संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं चीन, रूस और अमेरिका की दौड़ इस स्थिति को और जटिल बना रही है। साथ ही, ईरान और इजरायल के बीच का टकराव भी विश्व को एक नवीन परमाणु संकट की ओर धकेल सकता है।
ऐसे में ज़रूरत है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर संयुक्त राष्ट्र और परमाणु अप्रसार संधियों (NPT) के जरिए इन देशों को कूटनीतिक समाधान की ओर प्रेरित करें। वरना आने वाला समय केवल शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि विश्व शांति के लिए खतरे का संकेत भी बन सकता है।