अमेरिका और इजरायल के संयुक्त हमले ने ईरान के परमाणु ठिकानों को काफी हद तक क्षतिग्रस्त कर दिया है। गत 12 जून 2025 को शुरू हुए इस हमले के बाद 23 जून तक ईरान और इजरायल के बीच भीषण संघर्ष चला। इजरायल और अमेरिका दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि वे किसी भी कीमत पर ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकेंगे। इस हमले के बाद ईरान ने अमेरिका के साथ चल रही न्यूक्लियर डील पर बातचीत से इनकार कर दिया और स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई।
ईरान के परमाणु ठिकानों को हुए नुकसान का विस्तार
अमेरिका और इजरायल के हमलों में ईरान के कई परमाणु ठिकाने ध्वस्त हुए हैं। हालांकि पूरी तरह नष्ट नहीं हुए, परन्तु इतनी हानि हुई है कि इन ठिकानों को दोबारा खड़ा करने में कई साल लग सकते हैं। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने Al Jazeera से बातचीत में स्वीकार किया है कि अमेरिकी बमबारी से देश के परमाणु कार्यक्रम को भारी क्षति हुई है। इससे यह साफ हो गया है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम फिलहाल बाधित जरूर हुआ है।
राष्ट्रपति ट्रंप के बयान और आगे की संभावनाएं
नीदरलैंड्स में नाटो समिट के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए कि अगले हफ्ते ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत संभव है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि शुरू से उन्हें ईरान के साथ बातचीत में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, पर एक परमाणु समझौता संभव हो सकता है। ट्रंप ने यह भी कहा कि ईरान ने बहादुरी से संघर्ष किया है और उन्हें परमाणु हथियार बनाने से रोकना उनका मकसद रहेगा।
ट्रंप ने यह भी कहा कि ईरान का तेल कारोबार महत्वपूर्ण है और वे इसे पूरी तरह से रोकना नहीं चाहते। उन्होंने माना कि जंग से हुए नुकसान से उबरने के लिए ईरान को अपने तेल का निर्यात बढ़ाना होगा। चीन और अन्य कई देश अभी भी ईरान से तेल खरीदने को जारी रख सकते हैं, जिससे आर्थिक मोर्चे पर ईरान को मदद मिल सकती है।
क्या ईरान अब परमाणु हथियार बनाएगा?
ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने कहा है कि देश ने अपने क्षतिग्रस्त परमाणु ठिकानों की मरम्मत शुरू कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान के लिए अब परमाणु हथियार हासिल करना जीवन-मृत्यु का सवाल बन चुका है। डिफेंस प्रायोरिटीज के मिडिल ईस्ट प्रोग्राम की डायरेक्टर रोजमेरी केलानिक के अनुसार, अब ईरान हर हाल में परमाणु हथियार हासिल करने का प्रयास करेगा।
हालांकि इजरायल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भारी झटका दिया है, लेकिन यह रोकना आसान नहीं होगा। ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने के दो रास्ते हैं — पहला, यूरेनियम की प्रोसेसिंग जारी रखना और दूसरा, रूस या उत्तर कोरिया जैसे देशों से मदद लेना। रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने पहले ही कहा था कि कई देश, जिनमें रूस भी शामिल है, अब ईरान को परमाणु हथियार मुहैया करा सकते हैं।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में स्थिति
ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना भले ही अभी टला हो, लेकिन इसका पूर्णतः टूटना फिलहाल मुश्किल है। अमेरिका और इजरायल की कार्रवाई ने फिलहाल उसकी परमाणु गतिविधियों को धीमा जरूर किया है, पर भविष्य में वह फिर से तेजी से इस क्षेत्र में सक्रिय हो सकता है। वैश्विक राजनीति में ईरान को रोकना चुनौतीपूर्ण रहेगा क्योंकि इसके कई सहयोगी और समर्थक देश हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका और इजरायल के हमलों ने ईरान के परमाणु ठिकानों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है, जिससे उसकी परमाणु महत्वाकांक्षा पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। फिर भी, ईरान ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी परमाणु ताकत बढ़ाने की दिशा में हरसंभव प्रयास करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बातचीत की संभावनाएं ज़रूर जताई हैं, लेकिन ईरान का जिद्दी रुख और उसकी रणनीतिक महत्वाकांक्षा इस मुद्दे को जटिल बनाए हुए हैं। वैश्विक समुदाय के लिए यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में ईरान अपनी परमाणु योजना को लेकर क्या रणनीति अपनाता है और क्या वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए कोई स्थायी समाधान निकला जा सकता है।