मध्य पूर्व एक बार फिर गंभीर युद्ध संकट के दौर से गुजर रहा है। ईरान और इजरायल के बीच छिड़ा युद्ध अब पांचवें दिन में प्रवेश कर चुका है, और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इस संघर्ष में अब अमेरिका की सीधी भागीदारी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का आक्रामक रुख वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर रहा है।
ईरान की एयर स्ट्राइक से हिली इजरायल की धरती
बीती रात ईरान ने एक बार फिर इजरायल के बड़े शहरों—तेल अवीव और हाइफा—पर एयर स्ट्राइक की। पूरी रात धमाकों की आवाजें गूंजती रहीं। इजरायल की वायु सुरक्षा प्रणाली ने कई मिसाइलें नष्ट कीं, लेकिन कई हमले सफल भी रहे, जिससे नागरिक क्षेत्रों में अफरा-तफरी मच गई। इजरायल के जवाबी हमलों में भी ईरान के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया।
बातचीत की कोई संभावना नहीं
दुनिया भर में इस युद्ध को रोकने की अपील की जा रही है, लेकिन दोनों देश संघर्ष विराम या शांति वार्ता के लिए तैयार नहीं हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जंग तभी खत्म होगी जब ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई को खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि ईरान के पास मौजूद परमाणु हथियार पूरी दुनिया की शांति के लिए खतरा हैं और इजरायल इसे हर हाल में रोकना चाहता है।
ट्रंप का रुख हुआ और सख्त
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा में चल रहे G7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़ दिया और तुरंत अमेरिका लौट गए। उन्होंने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को सिचुएशन रूम तैयार रखने का आदेश दिया है। यह इशारा है कि अमेरिका अब ईरान के खिलाफ किसी बड़े सैन्य या कूटनीतिक कदम की ओर बढ़ सकता है।
ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर ईरान के किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा कि:
"ईरान युद्ध हार रहा है। मैंने उन्हें 60 दिन दिए थे, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। अब बातचीत का समय नहीं बचा है। तेहरान के लोगों को तुरंत शहर छोड़ देना चाहिए।"
नागरिकों में दहशत, शुरू हुआ पलायन
ट्रंप की चेतावनी के बाद ईरान की राजधानी तेहरान में भय और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। बड़ी संख्या में लोग तेहरान छोड़कर कैस्पियन सागर की ओर पलायन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में लोग अपने सामान के साथ ट्रकों और कारों में निकलते दिख रहे हैं।
भारत की सतर्क निगरानी
इस युद्ध पर भारत भी नजर बनाए हुए है। विदेश मंत्रालय ने एक विशेष कंट्रोल रूम बनाया है, जो 24 घंटे ईरान और इजरायल की गतिविधियों पर नजर रखेगा और इसकी रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दी जाएगी। भारत में इस क्षेत्र में रह रहे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी तैयारियां की जा रही हैं।
G7 का संयुक्त बयान और ट्रंप की असहमति
G7 देशों ने एक संयुक्त मसौदा बयान तैयार किया, जिसमें ईरान से तनाव कम करने और इजरायल को आत्मरक्षा का अधिकार देने की बात कही गई। लेकिन ट्रंप ने इस मसौदे पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए और उसे किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए।
निष्कर्ष: एक बड़े युद्ध की आहट?
इजरायल और ईरान के बीच यह संघर्ष अब केवल सीमित क्षेत्रीय टकराव नहीं रह गया है। इसमें अमेरिका की प्रत्यक्ष संलिप्तता के बाद यह वैश्विक युद्ध का रूप ले सकता है। जहां एक ओर ईरान बातचीत की पेशकश कर रहा है, वहीं अमेरिका और इजरायल आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।
अब यह देखना बेहद अहम होगा कि आने वाले दिनों में ट्रंप क्या बड़ा फैसला लेते हैं, और क्या यह दुनिया को एक और युद्ध की ओर धकेल देगा, या फिर कोई नया कूटनीतिक रास्ता खुलेगा।
दुनिया की निगाहें अब मध्य पूर्व पर टिकी हैं—जहां हर पल एक नई तबाही की आशंका मंडरा रही है।