केन्या में पिछले एक साल से जारी राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता के कारण हाल ही में हुए विरोध प्रदर्शनों ने एक बार फिर देश की स्थिति को चिंताजनक बना दिया है। राजधानी नैरोबी समेत देश के कई हिस्सों में सरकार के खिलाफ शुरू हुए ये प्रदर्शन अब हिंसक रूप धारण कर चुके हैं। पिछले एक दिन में हुए प्रदर्शनों में 16 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से अधिकांश पुलिस की कार्रवाई के दौरान मारे गए हैं। यह स्थिति देश के अंदर गहरी बेचैनी और असंतोष की झलक दिखाती है।
प्रदर्शन की पृष्ठभूमि और कारण
केन्या में पिछले साल भी इसी समय बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे, जो टैक्स बिल के खिलाफ शुरू हुए थे। उस समय सरकार ने टैक्स दरों में वृद्धि की थी, जिससे पहले से ही आर्थिक तंगी झेल रहे आम नागरिकों की मुश्किलें और बढ़ गई थीं। आर्थिक मंदी, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के चलते लोगों में गहरा रोष था। इस असंतोष ने हिंसक रूप लिया और प्रदर्शनकारी संसद भवन पर भी हमला कर बैठे थे। उस हिंसा में पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 60 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद भी राजनीतिक तनाव बना रहा।
एक साल बाद फिर प्रदर्शन और हिंसा
इसी प्रदर्शन के एक साल पूरे होने के अवसर पर, केन्याई लोग एक बार फिर सड़कों पर उतर आए। बीते बुधवार को राजधानी नैरोबी में आयोजित मार्च और प्रदर्शन के दौरान भी हिंसा हुई। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछारें कीं, जिससे कई लोग घायल हुए। प्रदर्शनों के दौरान 2 लोगों की मौत हो गई, जो पुलिस की कठोर कार्रवाई का नतीजा था। हालांकि प्रदर्शनकारी भी हिंसक हो गए और कई जगहों पर सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने सरकारी इमारतों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाए। नैरोबी की सड़कों पर कांटेदार तारों का घेरा लगाया गया और भारी पुलिस बल तैनात किया गया। प्रदर्शनकारी जब इस सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ने की कोशिश करते, तो पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। यह टकराव कई इलाकों में हिंसा में बदल गया, जिसमें दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा।
एमनेस्टी इंटरनेशनल का बयान
केन्या में हालात को देखते हुए मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने चिंता व्यक्त की है। संगठन के केन्या हेड ने कहा कि पिछले साल हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद भी देश में असुरक्षा और हिंसा की स्थिति जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार को लोगों की आवाज सुननी होगी और उनके मुद्दों का समाधान करना होगा। साथ ही पुलिस की बर्बरता को रोकने के लिए उचित कदम उठाना आवश्यक है। संगठन ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस की हिंसा की निंदा की है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
स्थानीय मीडिया और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट
स्थानीय मीडिया और रॉयटर्स जैसी अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों ने इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से कवर किया है। उनका कहना है कि केन्या में पिछले साल और अब हाल ही में हुई हिंसा का मूल कारण गरीबी, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता और सरकारी नीतियों के प्रति असंतोष है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार और प्रशासन की नाकामी ने भी स्थिति को बिगाड़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठाती, तो देश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ेगी।
क्या उम्मीद की जा सकती है?
केन्या में जारी ये प्रदर्शन देश के लिए चेतावनी हैं कि सरकार को जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेना होगा। आर्थिक सुधारों के बिना और सामाजिक न्याय की मांगों के बिना देश में स्थिरता लाना मुश्किल होगा। सरकार को चाहिए कि वह खुले संवाद के माध्यम से जनता के साथ बातचीत करे और उनकी मांगों को सुने। साथ ही पुलिस बल को निर्देश दिया जाए कि वह प्रदर्शनकारियों के साथ संयम से पेश आए और अनावश्यक बल प्रयोग से बचा जाए।
निष्कर्ष
केन्या के ये प्रदर्शनों ने स्पष्ट कर दिया है कि देश में व्यापक स्तर पर असंतोष और संघर्ष व्याप्त है। पिछले साल के प्रदर्शनों की तरह ही इस बार भी हिंसा ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है। सरकार और प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है कि वे इस ज्वलंत मुद्दे को सुलझाएं और शांति बहाल करें। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो भविष्य में और अधिक हिंसा और सामाजिक अशांति के खतरे बढ़ जाएंगे। केन्या के लिए अब जरूरी है कि वह अपने नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाए और लोकतांत्रिक तरीकों से विवादों का समाधान करे। तभी देश में स्थिरता और समृद्धि की उम्मीद की जा सकती है।