दमिश्क में इजराइली हमला, ड्रूज समुदाय की रक्षा के नाम पर सीरियाई सेना को चेतावनी, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Wednesday, July 16, 2025

मुंबई, 16 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इजराइल ने बुधवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक सैन्य मुख्यालय पर हमला कर दिया, जिसमें अल जजीरा के अनुसार दो ड्रोन दागे गए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में लाइव शो के दौरान बमबारी होती नजर आ रही है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि वह स्थान वाकई मिलिट्री हेडक्वार्टर ही है या नहीं। यह हमला ऐसे वक्त हुआ जब दक्षिणी सीरिया के स्वेदा प्रांत में ड्रूज और सुन्नी बेदोइन समुदायों के बीच बीते चार दिनों से भीषण संघर्ष चल रहा है, जिसमें अब तक 250 लोगों की मौत हो चुकी है। मंगलवार को घोषित संघर्ष विराम के बावजूद बुधवार को फिर हिंसा भड़क गई। इस हिंसा की शुरुआत रविवार को हुई जब बेदोइन समुदाय के कुछ लोगों ने ड्रूज व्यक्ति पर हमला कर उसे लूट लिया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच टकराव बढ़ता गया, जिसमें अपहरण, गोलीबारी और अन्य हिंसक घटनाएं शामिल रहीं। सरकार ने सोमवार को क्षेत्र में सेना भेजी लेकिन ड्रूज मिलिशिया को संदेह था कि ये सैनिक बेदोइन पक्ष के साथ हैं, जिससे हालात और बिगड़ गए।

इजराइली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने पहले ही चेतावनी दी थी कि जब तक सीरियाई सेना दक्षिणी इलाकों से पीछे नहीं हटेगी, इजराइली हमले जारी रहेंगे। इसके तहत इजराइल ने स्वेदा के आसपास के क्षेत्रों में सीरियाई बलों पर बमबारी की। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले को ड्रूज समुदाय की रक्षा से जोड़ा, जिनके साथ इजराइल और कब्जे वाले गोलान हाइट्स में घनिष्ठ संबंध हैं। सीरिया के गृह मंत्रालय ने हिंसा को सांप्रदायिक विवाद नहीं बल्कि अपराधियों और सरकार के बीच का संघर्ष बताया और माना कि स्वेदा में सरकार अराजकता रोकने में विफल रही है। शहर में इंटरनेट और बिजली पूरी तरह बंद कर दी गई है। ड्रूज समुदाय, जो सीरिया की लगभग 3% यानी करीब आठ लाख आबादी है, ने वर्षों से खुद को असद सरकार और इस्लामी चरमपंथियों दोनों से बचाने के लिए अपने सशस्त्र गुट बनाए हैं। उन्होंने स्वेदा में मजबूत नियंत्रण बनाए रखा है, जो इजराइल और जॉर्डन सीमा के पास रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्र है। जब दिसंबर में सुन्नी विद्रोही गठबंधन ने बशर अल-असद की सत्ता को गिराया और नई सरकार बनी, तो उसने ड्रूज मिलिशिया से राष्ट्रीय सेना में शामिल होने की अपील की, लेकिन ड्रूज नेताओं ने अहमद अल-शरा उर्फ मोहम्मद अल जुलानी की मंशा पर भरोसा नहीं जताया। जुलानी पूर्व में एक इस्लामी विद्रोही गुट का हिस्सा रहे हैं, जिसे अल-कायदा से जुड़ा माना जाता था। इस कारण से ड्रूज और अन्य अल्पसंख्यक उनके नेतृत्व को लेकर सशंकित हैं।


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