भारतीय मिशन रोजगार योजना (बीएमआरवाई) के तहत सरकार 35000 रुपए प्रति माह नौकरी दे रही है। इतना ही नहीं, आवेदन को सत्यापित करने के लिए 1280 रुपये का शुल्क जमा करना होगा। इस समय सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही मैसेज छाया हुआ है। हालांकि अगर आप इस तरह के मैसेज में आने वाले किसी लिंक पर क्लिक करने जा रहे हैं तो पहले इस खबर को पढ़ लें। दरअसल, इस समय सोशल मीडिया पर जो मैसेज वायरल हो रहे हैं, उनमें कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार की भारतीय मिशन रोजगार योजना के तहत उम्मीदवार को आवेदन शुल्क के भुगतान पर ग्राहक सेवा प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया जा रहा है.
वहीं, प्रशिक्षण के दौरान 35,000 रुपये के अलावा आवास, भोजन कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाएगा. हालांकि यह नकली है। आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर जो मैसेज भेजे जा रहे हैं उनमें एक फॉर्म भी भेजा जा रहा है. हां और उस पर लिखा होता है- BMRY ट्रेनिंग कॉल लेटर। इस पत्र में आवेदकों का पूरा विवरण होता है। प्रशिक्षण का समय भी दिया गया है। साथ ही यह भी बताया है कि ट्रेनिंग कब तक होगी। बुलावा पत्र में प्रशिक्षु को आवेदक की श्रेणी में लिखा गया है।
वहीं, BMRY ट्रेनिंग कॉल लेटर में लिखा है- 'सूचित किया जाता है कि उपरोक्त उम्मीदवार को भारत सरकार के भारतीय मिशन रोजगार योजना के तहत ग्राहक सेवा प्रतिनिधि (LDC) के पद पर नियुक्त किया गया है. आवेदकों एवं स्नातक उत्तीर्ण आवेदनों को कार्यालयीन कार्य हेतु नियुक्त किया जायेगा। भारतीय मिशन रोजगार योजना के तहत ग्राहक सेवा प्रतिनिधि (एलडीसी) का वेतन 35,000 रुपये होगा, दोपहर का भोजन (सिर्फ प्रशिक्षण के दौरान) मिलेगा.
इतना ही नहीं, इसके अलावा भविष्य निधि, चिकित्सा सुविधा, आपातकालीन दुर्घटना बीमा, मकान किराया जैसी सुविधाएं (स्थायी पते से किसी दूसरे शहर में नियुक्ति हो तो विभाग को सूचित करना अनिवार्य है)। इसके साथ ही इसमें आगे लिखा है- उम्मीद है कि विभाग के सभी नियम व शर्तों का पालन करते हुए और सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आप योजना का लाभ उठाएंगे. इसके साथ ही उसमें लिखा है कि उम्मीदवार को सत्यापन शुल्क के रूप में 1280 रुपये जमा करना अनिवार्य है. यह राशि रिफंडेबल है। यह राशि आवेदन शुल्क प्राप्त होने के 72 घंटे के भीतर जमा करनी होगी। यदि आवेदन की इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है तो आवेदन खारिज कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि पीआईबी फैक्ट चेक ने विभाग के इस वायरल मैसेज की सच्चाई का पता लगाया तो यह बात सामने आई कि सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं चलाई जा रही है. यह दावा फर्जी है और यह पूरी तरह से साइबर अपराधियों द्वारा बिछाया गया जाल है, इसलिए आपको सावधान रहने की जरूरत है।