मुंबई, 16 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया कि संसद के आगामी मानसून सत्र में इस संबंध में एक विधेयक लाया जाए। राहुल गांधी ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री के पुराने दो बयानों का हवाला भी दिया है, जिनमें 19 मई 2024 को भुवनेश्वर और 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में दिए गए भाषणों में पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की बात कही थी। राहुल गांधी ने अपने पत्र में केंद्र सरकार से यह भी मांग की है कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए एक अलग कानून लाया जाए, ताकि वहां के लोगों को सांस्कृतिक, भाषाई और प्रशासनिक सुरक्षा मिल सके। साल 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटाते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया था। उस समय सरकार ने वादा किया था कि राज्य की स्थिति सामान्य होने के बाद जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिया जाएगा। कानूनी प्रक्रिया के तहत, जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य बनाने के लिए संसद को पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करना होगा। यह बदलाव संविधान की धारा 3 और 4 के अंतर्गत किए जाएंगे। इसके लिए संसद के दोनों सदनों से प्रस्ताव पास कराना होगा और फिर राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद अधिसूचना जारी होगी, जिस दिन से राज्य का दर्जा बहाल हो जाएगा।
राज्य का दर्जा बहाल होने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई अहम बदलाव होंगे। पुलिस और कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य सरकार के पास लौट आएगी। भूमि, राजस्व और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े विषयों पर राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार मिल जाएगा। राज्यपाल का दखल कम होगा और राज्य सरकार को बजट और वित्तीय निर्णयों में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। साथ ही, राज्य विधानसभा को सार्वजनिक व्यवस्था और समवर्ती सूची के विषयों में कानून बनाने का अधिकार मिलेगा। राज्य का दर्जा मिलने के बाद वित्तीय सहायता केंद्र सरकार से नहीं, बल्कि वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर प्राप्त होगी। इसके अलावा एंटी करप्शन ब्यूरो और अखिल भारतीय सेवाओं जैसे अफसरों की नियुक्ति और तबादले भी राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ जाएंगे। व्यापार, टैक्स और वाणिज्य से जुड़े विषयों पर भी राज्य सरकार को संपूर्ण अधिकार मिल जाएंगे। राज्य बनने पर मंत्रिमंडल में विधायकों की संख्या के अनुपात में 15% तक मंत्रियों की नियुक्ति संभव होगी, जबकि अभी केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर यह सीमा 10% है। इसके साथ ही जेलों में कैदियों की रिहाई समेत अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में भी राज्य सरकार की भूमिका अधिक प्रभावशाली होगी।